बारिश की बूंदे
खिड़की से अन्दर आती वो बूंदे बारिश की कहती हैं कहानी सूरज के खिलाफ की साजिश की। मेघों से बिछड़ने का दुःख तो है उनमें, पर संतुष्टि भी है...
खिड़की से अन्दर आती वो बूंदे बारिश की कहती हैं कहानी सूरज के खिलाफ की साजिश की। मेघों से बिछड़ने का दुःख तो है उनमें, पर संतुष्टि भी है...
उस रात बादलों के घेरे में यूँही अकेले चलते चलते। आया एक Tissue Paper कहीं से अचानक उड़ते उड़ते॥ कुछ अधूरे शब्द काली स्याही से लिखे हुए।...
कल शाम मिले मुझे एक अंकल बहुत ही ऊंची नाक थी उनकी। कपडे थोड़े फटे हुए थे तनी हुई पर शाख थी उनकी॥ जब जहां जब भी वो जाते पहले उनकी नाक...
क्यूं सूर्य की धूप अब घटती नहीं है? क्यूं नियति से बदलियाँ छटती नहीं हैं? हर दिशा झुलसी है अग्नि के प्रलय से क्यूं धरा पर कोपलें खिलती...
द्वंद्व छिड़ी हुई है मन में किस पथ को अपनाऊँ मैं। सब कहते हैं वो अपने हैं किसके संग हो जाऊं मैं? हर राह लगती है सूनी हर पथिक लगता है भटका,...
तुम्हारा लैबकोट मिला एक दिन तुम्हारी कुर्सी पर लटका हुआ खोया- खोया मायूस सा, चेहरा बिलकुल उतरा हुआ। किसी ने सुबह से उसका हाल ना पूछा था...
वो खोया बचपन दिख जाता है कभी उन नन्हें क़दमों में जो स्कूल जाने से हिचकिचाते हैं। वो खोया बचपन दिख जाता हैं कभी दीवारों पर खिंची आड़ी...
मेरे गाँव के तालाब से सटे, जहां छोटी पगडण्डी जाती है, वहां, पेड़ों के झुर्मुठ के तले, एक है मेरा छोटा सा। एक बगिया है, जहां फूल खिले कुछ...
सोच रही हूँ सुबह से कि एक चित्र बनाऊं मैं कुछ विकृत, विषम और कुछ विचित्र बनाऊं मैं कई निरर्थक लकीर जोड़ कुछ सार्थक बनाऊं मैं कुछ रंग भरके...
बड़े-बड़े शहरों के वे बड़े-बड़े मकान कितना छोटा कर देते हैं हमें कभी कभी इनके ऊपर चढ़ कर अब तो पौधे से लगते हैं विशाल बड़गद के पेड़ भी...
courtsey: trip to Mt. Bromo पहले पहर के सूरज के संग समेट के अपना सामान और बाँध के अपने जूते निकल पड़े थे हम घर के सामने की सुनहरी पगडण्डी...
बंद कमरों की ख़ामोशी में कुछ यूँ डूबे रहते हैं हम अब कि ज़िन्दगी की पुकार दरवाज़े पर ही जाती है दब अपने अन्धकार में लुप्त रमे रहते हैं कुछ...
courtsey: trip to Bintan, Indonesia हवा के थपेड़ों से झुके वो पेड़ नारियल के सुना रहे थे कहानी अपने बीते हुए कल की समुद्र की लहरें भी अपने...