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हाइड्रोपोनिक्स 

Hydroponics किसी मिट्टी में किसी क्यारी में ना बड़गद सा अब बंद हूं मैं मैं जल में ही उग जाता हूं सम्पूर्ण हूं स्वच्छंद हूं मैं हर भाई...

हाइड्रोपोनिक्स 

Image credits: Pexels.com है नाम वही और काम वही पर ज़मीं से मैं हूं बाध्य नहीं अब मैं तैर भी सकता हूं जब पानी में मैं उगता हूं बस मुझे...

परिवर्तन

Stem cell differentiation under fluid shear stress. Red color: Myosin II, Green color: Actin filament मुझपे बहती जब द्रव की धार, बढ़ती...

ईर्ष्या या प्रेम

मैं कथा कहूँ दो प्रेमियों की जो सदा संग ही विचरते थे । पर एक-दूजे से बिना मिले निर्बल से, आहें भरते थे ॥ एक शाम अनोखी की बात हुई ईर्ष्या...

Mirage

I think you still exist Or, do you, actually, not? As image you persist Reality says, you do not. You build me, every night, Story of...

The Goddess

Hampi 2020 Like pieces of blocks I assembled her together Gave her the looks I wanted to see. Took her apart. Assembly repeated. Chained...

कैसे मैं पहचानूँ तुमको 

कैसे मैं पहचानूँ तुमको? कद, काठी या चाल से? कैसे मैं पहचानूँ तुमको? रंगत या बिखरे बाल से? हाय! आँखों की पहले गहराई क्यों नहीं नापी थी!...

आज मैं बस एक अंक हूं !

REUTERS/DANISH SIDDIQUI आज मैं बस एक अंक हूं । बड़ी सी गिनती का एक छोटा अंग हूं । मेरी पहचान बस नंबरों में है, मेरा अस्तित्व बिखरा...

दीवारें

माना कि थे वो ग़लत और क्रूर अपरम्पार थे । दोषों से वो युक्त थे और पाप के भरमार थे ।। किन्तु दीवारें बना, क्या हमने हत्याएं न कीं? जो हमारे...

It lived for a day

He groomed it with wonders of love and spades, It bloomed, it flowered with yellow as shades. It was loved, it flourished It glowed, it...

नाम से पहचान

Graphic courtesy: The Times of India एक रोज़ मुझे एक चिट्टी आयी, ‘सालों से तूने, न शक्ल दिखाई, आकर मिलो इस दफ्तर से तुम, साथ में लाना चंदन...

भूल जाओ मुझे

भूल जाओ मुझे, क्यूँ मेरे लाश को बार बार जगाते हो? क्यूँ मेरे अंत पर तुम प्रश्न चिन्ह लगाते हो? मेरे साथ ही तो उस सभ्यता का अंत हो गया था...

स्वरूप

मैं जब भी देखूँ दर्पण में, कुछ बदल रहा मेरे आँगन में। ये स्वरूप मेरा है या रूप तेरा, मैं सोच रही मन ही मन में।। चादर की सफेदी में अपने,...

मारीच की खोज

मैं धरा के जंगलों में ढूंढता मारीच, देखो ! बिछड़े लक्ष्मण और सीता मुझसे किस युग में, न पूछो ! एक उसकी खोज में वर्षों गए हैं बीत मेरे। अब...

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