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The Goddess

Hampi 2020 Like pieces of blocks I assembled her together Gave her the looks I wanted to see. Took her apart. Assembly repeated. Chained...

आज मैं बस एक अंक हूं !

REUTERS/DANISH SIDDIQUI आज मैं बस एक अंक हूं । बड़ी सी गिनती का एक छोटा अंग हूं । मेरी पहचान बस नंबरों में है, मेरा अस्तित्व बिखरा...

It lived for a day

He groomed it with wonders of love and spades, It bloomed, it flowered with yellow as shades. It was loved, it flourished It glowed, it...

शिखरों के पार

हृदय को अकुलाता ये विचार है, दृष्टि को रोके जो ये पहाड़ है, बसता क्या शिखरों के उस पार है। उठती अब तल से चीख पुकार है, करती जो अंतः में...

शब्दों का हठ

कहते हैं मुझसे कि एक बच्चे की है स्वप्न से बनना, जो पक्षियों के पैरों में छुपकर घोंसले बना लेते हैं। कहते हैं मुझसे कि एक थिरकती लौ की आस...

अरण्य का फूल

बेलों लताओं और डालियों पर सजते हैं कितने, रूप रंग सुरभि से शोभित कोमल हैं ये उतने। असंख्य खिलते हैं यहाँ और असंख्य मुरझाते हैं, अज्ञात और...

काव्य नहीं बंधते

शब्द तो गट्ठर में कितने बांध रखे हैं, स्याही में घुल कलम से वो अब नहीं बहते। हो तरंगित कागज़ों को वो नहीं रंगते, जाने क्यों मुझसे अब अच्छे...

कल्पना की दुनिया

यथार्थ की परत के परोक्ष में, कल्पना की ओट के तले, एक अनोखी सी दुनिया प्रेरित, अबाध्य है पले। चेतन बोध से युक्त सृजन के सूत्रधारों की,...

Plastic deformation

Courtesy: My birthday gift from a few dear friends Yesterday, while walking, I wrote some words in ink. Some were bitter, harsh Some...

That silent guitar

Silently, it lays. Strings out of tune. Nothing brings life, Neither sun, nor moon. Skin has lost luster, Lies yellow and pale Crawlers...

कविता की चोरी

शब्दों को कर के लय-बद्ध, लिखे मैंने वो चंद पद्य, मन की इच्छा के भाव थे वो, मेरे अंतर्मन का रिसाव थे वो, वो मेरी कहानी कहते थे, मेरे निकट...

अहम्

हरी-हरी ज़मीन से ऊँची शाख ने कहा, “मैं तना विशाल-सा, शान से यहाँ अड़ा, तुच्छ, तू ज़मीन पर, धूलग्रस्त है गड़ा, क्या महान कर रहा, तू वहाँ...

हाय! कृष्ण तुम कहाँ गए

है जंग यहाँ फिर आज छिड़ी है रण भूमि फिर आज सजी अर्जुन ने अपना धनुष कसा तरकश को फिर बाणों से भरा इस बार भी भाई समक्ष खड़े अर्जुन के बाण...

यहाँ सब चलता है

यहाँ कहते हैं कि सब चलता है। श्वेत जामा ओढ़े है विनाश, भू बिछी है निर्दोषों की लाश, अश्रु-क्रंदन में बहे उल्लास, ढेर हुआ बेबस विश्वास,...

आलिंगन

अधखुली तेरी आँखों में लिखे थे अधूरे शब्द स्वयं को बांधे हुए थी मैं संकुचित, निस्तब्ध। तरंगों की आंधी में खिंच रहे थे अधीर मन भावों के...

ज्वलित बन तू

सूक्ष्म सी चिंगारी बन तू टिमटिमा जुगनू के संग संग। ज्वाला का सामर्थ्य रख तू अपने भीतर, अपने कण-कण॥ नम्रता की लौ भी बन तू जलती-बुझती,...

उठ जाग ! ऐ भारतीय !

Photo Courtesy Pratik Agarwal उत्तेजना संदेह से कुंठित हैं मनोभाव मिलती नही इस धूप से अब कहीं भी छाँव। हर अंग पर चिन्हित हुआ है भ्रष्ट का...

चल पड़ा सन्यासी वो

चल पड़ा सन्यासी वो, अपनी ही एक राह पर तलवे को नग्न कर और भूत को स्याह कर। बढ़ चला वो अपने पग से मार्ग को तराशता आज बस उम्मीदें ही बन रही...

करूँ मैं किसकी आस?

दोषयुक्त है बगिया सारी विष का हुआ है वास सोच रहे हैं भँवरे सारे करूँ मैं किसकी आस? छोड़ गए परिजन हैं सारे ना ज्योत, ना विलास सोच रहे हैं...

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