top of page

स्वयं को परमार्थ कर

रात, बादल से निकल कर, चाँद ने टोका मुझे, “है क्यों इतना तू परेशां, कैसी है चिंता तुझे? क्यों तू एकाकीपने की ओट में लेटा रहे? क्यों तू...

हाय! कृष्ण तुम कहाँ गए

है जंग यहाँ फिर आज छिड़ी है रण भूमि फिर आज सजी अर्जुन ने अपना धनुष कसा तरकश को फिर बाणों से भरा इस बार भी भाई समक्ष खड़े अर्जुन के बाण...

यहाँ सब चलता है

यहाँ कहते हैं कि सब चलता है। श्वेत जामा ओढ़े है विनाश, भू बिछी है निर्दोषों की लाश, अश्रु-क्रंदन में बहे उल्लास, ढेर हुआ बेबस विश्वास,...

Blog: Blog2

©2021 by Surabhi Sonam. Proudly created with Wix.com

bottom of page