शब्दों का हठ
Updated: Mar 29, 2021

कहते हैं मुझसे कि एक बच्चे की है स्वप्न से बनना, जो पक्षियों के पैरों में छुपकर घोंसले बना लेते हैं। कहते हैं मुझसे कि एक थिरकती लौ की आस सा बनना, जो उजड़ती साँसों को भी हौसला देकर जगा देते हैं।
कविताओं के छंद बना जब पतंग सा मैंने उड़ाना चाहा, तो इनमें से कुछ आप ही बिखर गए धागे से खुलकर। पद्य के रस में पीस कर जब इत्र से मैंने फैलाना चाहा, तो इनमें से कुछ स्वयं ही लुप्त हुए बादल में घुलकर।
अब उन्हें न ही किसी श्लोक न किसी आयत में बंद होना है, अब उन्हें अपनी उपयुक्तता की परिभाषा नई गढ़ना है, संचार के जो टूटे तार हैं पुनः संलग्न उन्हें करना है, शायद, उन्हें द्वेष पर फिर से प्रेम का टूटा रत्न जड़ना है।।
#random #hindi #HindiPoetry #Poems #Reflections #poetry #Thoughts #Writing