माना कि थे वो ग़लत और क्रूर अपरम्पार थे । दोषों से वो युक्त थे और पाप के भरमार थे ।।
किन्तु दीवारें बना, क्या हमने हत्याएं न कीं? जो हमारे कर हुई, वो न्याय कैसे कब हुईं?
क्या दीवारें बनने से आयी कभी कहीं शांति है? भूत के पन्ने पलट लो, इनसे हुई बस क्रांति है!
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