top of page
Surabhi Sonam

एक ही रंग

Updated: Mar 29, 2021


HoliHands (2)

रंग-रंग मस्तक पे चढ़ा हो रंग-रंग हर अंग लगा हो। रंग ऐसा जो कभी न उतरे, ऐसे रंग का भंग पिया हो॥


रंग ऐसे हम चुनें जो मिलके, एक ही रंग से मुख को रंग दे। बाह्य-रूप इतना धुंधला हो, रंग-रंग अंतस का उभरे॥


अंतर न कर सके जो कोई, भ्रमित सर्जक भी देख हुआ हो। रंग ऐसा जो कभी न उतरे, ऐसे रंग का भंग पिया हो॥


चित्त डूबा हो प्रेम-रंग में, सब बन जाएं दर्पण सबके। भूलें अपने कल को सारे, पवित्राग्नि में अर्पण करके॥


समरंगी संवाद करें और, सम से ही ये समूह बना हो। रंग ऐसा जो कभी न उतरे, ऐसे रंग का भंग पिया हो॥

#हिन्दी #कविता #होली #colors #equality #racism #HindiPoetry

0 views0 comments

Comments


Post: Blog2_Post
bottom of page