top of page

अरण्य का फूल

Surabhi Sonam

Updated: Mar 29, 2021

IMG_20171007_144115

बेलों लताओं और डालियों पर सजते हैं कितने, रूप रंग सुरभि से शोभित कोमल हैं ये उतने।


असंख्य खिलते हैं यहाँ और असंख्य मुरझाते हैं, अज्ञात और अविदित कितने धूल में मिल जाते हैं।


दो दिन की ख्याति है कुछ की दो दिन पूजे जाते, फिर कोई न पूछे उन्हें जो वक्ष पर मुरझा जाते।


जग रमता उसी को है जो फल का रूप है धरता, अरण्य का वो फूल मूल जो पेट किसी का भरता।।

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Commentaires


Post: Blog2_Post

©2021 by Surabhi Sonam. Proudly created with Wix.com

bottom of page