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हे प्रिय!

हे प्रिय! पकड़ लो हाथ कभी मैं भी दो क्षण फिर साथ चलूँ। जो स्वप्न मौन में आहट दें उनका नयनों से स्पर्श करूँ॥ हे प्रिय! राग बन मिलो कभी तेरी...

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