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स्वरूप

मैं जब भी देखूँ दर्पण में, कुछ बदल रहा मेरे आँगन में। ये स्वरूप मेरा है या रूप तेरा, मैं सोच रही मन ही मन में।। चादर की सफेदी में अपने,...

ठण्ड की कहानी

यूँ तो हर मौसम की अपनी मनमानी होती है, पर ठण्ड की एक दिलचस्प ही कहानी होती है। धुंध से भीगी रातें तो रूमानी होतीं हैं, पर दिसंबर में...

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