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करूँ मैं किसकी आस?

दोषयुक्त है बगिया सारी विष का हुआ है वास सोच रहे हैं भँवरे सारे करूँ मैं किसकी आस? छोड़ गए परिजन हैं सारे ना ज्योत, ना विलास सोच रहे हैं...

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