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बंद दफ्तर

ताले में वो बंद दफ्तर उसमे बूढी वो कुर्सियाँ, चुप से कोने में पिरोती कर्कशी खामोशियाँ। कब से हो के मौन बैठे टाइपराइटर वो पुराने, गूंजता...

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