Surabhi SonamFeb 5, 20141 minहे प्रिय!हे प्रिय! पकड़ लो हाथ कभी मैं भी दो क्षण फिर साथ चलूँ। जो स्वप्न मौन में आहट दें उनका नयनों से स्पर्श करूँ॥ हे प्रिय! राग बन मिलो कभी तेरी...
Surabhi SonamOct 11, 20131 minआलिंगनअधखुली तेरी आँखों में लिखे थे अधूरे शब्द स्वयं को बांधे हुए थी मैं संकुचित, निस्तब्ध। तरंगों की आंधी में खिंच रहे थे अधीर मन भावों के...