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निर्झर और मीन

कभी पात-पात, कभी जल-प्रपात, तैरी मैं तो हर प्रहर आठ। निर्झर प्रवाह की संगिनी मैं, मैंने देखे उसके सब घाट॥ सीखे निर्झर से पाठ कई, वो तरल...

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