दीवारें
माना कि थे वो ग़लत और क्रूर अपरम्पार थे । दोषों से वो युक्त थे और पाप के भरमार थे ।। किन्तु दीवारें बना, क्या हमने हत्याएं न कीं? जो हमारे...
माना कि थे वो ग़लत और क्रूर अपरम्पार थे । दोषों से वो युक्त थे और पाप के भरमार थे ।। किन्तु दीवारें बना, क्या हमने हत्याएं न कीं? जो हमारे...
He groomed it with wonders of love and spades, It bloomed, it flowered with yellow as shades. It was loved, it flourished It glowed, it...
Graphic courtesy: The Times of India एक रोज़ मुझे एक चिट्टी आयी, ‘सालों से तूने, न शक्ल दिखाई, आकर मिलो इस दफ्तर से तुम, साथ में लाना चंदन...
हृदय को अकुलाता ये विचार है, दृष्टि को रोके जो ये पहाड़ है, बसता क्या शिखरों के उस पार है। उठती अब तल से चीख पुकार है, करती जो अंतः में...
कहते हैं मुझसे कि एक बच्चे की है स्वप्न से बनना, जो पक्षियों के पैरों में छुपकर घोंसले बना लेते हैं। कहते हैं मुझसे कि एक थिरकती लौ की आस...
बेलों लताओं और डालियों पर सजते हैं कितने, रूप रंग सुरभि से शोभित कोमल हैं ये उतने। असंख्य खिलते हैं यहाँ और असंख्य मुरझाते हैं, अज्ञात और...
शब्द तो गट्ठर में कितने बांध रखे हैं, स्याही में घुल कलम से वो अब नहीं बहते। हो तरंगित कागज़ों को वो नहीं रंगते, जाने क्यों मुझसे अब अच्छे...
यथार्थ की परत के परोक्ष में, कल्पना की ओट के तले, एक अनोखी सी दुनिया प्रेरित, अबाध्य है पले। चेतन बोध से युक्त सृजन के सूत्रधारों की,...
कल्पना करो, कुछ दिनों में ये बंजर हो जायेंगे। ये हवा के संग लहलहाते पत्ते, अतीत में खो जायेंगे॥ जब बारिश की बूंदों में ये पत्ते विलीन...
छोड़ कर वो घर पुराना, ढूंढें न कोई ठिकाना, बढ़ चलें हैं कदम फिर से छोड़ अपना आशियाना। ऊंचाई कहाँ हैं जानते, मंज़िल नहीं हैं मानते। डर जो कभी...
फोटो सौजन्य: मृणाल शाह छितराई यादों से अब मैं सैंतिस केजी छाँटूं कैसे? सात साल के जीवन को एक बक्से में बाँधूँ कैसे? बाँध भी लूँ मैं नर्म...
Courtesy: My birthday gift from a few dear friends Yesterday, while walking, I wrote some words in ink. Some were bitter, harsh Some...
शब्दों को कर के लय-बद्ध, लिखे मैंने वो चंद पद्य, मन की इच्छा के भाव थे वो, मेरे अंतर्मन का रिसाव थे वो, वो मेरी कहानी कहते थे, मेरे निकट...
पृष्ठभूमि : अभिमन्यु चक्रव्यूह के आखिरी चरण में हैं। वे खुद को ये समझा रहे हैं कि अंतिम चरण की लड़ाई कैसे उनके कौशल पर निर्भर करती है ।...
है जंग यहाँ फिर आज छिड़ी है रण भूमि फिर आज सजी अर्जुन ने अपना धनुष कसा तरकश को फिर बाणों से भरा इस बार भी भाई समक्ष खड़े अर्जुन के बाण...
यहाँ कहते हैं कि सब चलता है। श्वेत जामा ओढ़े है विनाश, भू बिछी है निर्दोषों की लाश, अश्रु-क्रंदन में बहे उल्लास, ढेर हुआ बेबस विश्वास,...
अधखुली तेरी आँखों में लिखे थे अधूरे शब्द स्वयं को बांधे हुए थी मैं संकुचित, निस्तब्ध। तरंगों की आंधी में खिंच रहे थे अधीर मन भावों के...
दोषयुक्त है बगिया सारी विष का हुआ है वास सोच रहे हैं भँवरे सारे करूँ मैं किसकी आस? छोड़ गए परिजन हैं सारे ना ज्योत, ना विलास सोच रहे हैं...
कल शाम मिले मुझे एक अंकल बहुत ही ऊंची नाक थी उनकी। कपडे थोड़े फटे हुए थे तनी हुई पर शाख थी उनकी॥ जब जहां जब भी वो जाते पहले उनकी नाक...
द्वंद्व छिड़ी हुई है मन में किस पथ को अपनाऊँ मैं। सब कहते हैं वो अपने हैं किसके संग हो जाऊं मैं? हर राह लगती है सूनी हर पथिक लगता है भटका,...