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दीवारें

माना कि थे वो ग़लत और क्रूर अपरम्पार थे । दोषों से वो युक्त थे और पाप के भरमार थे ।। किन्तु दीवारें बना, क्या हमने हत्याएं न कीं? जो हमारे...

It lived for a day

He groomed it with wonders of love and spades, It bloomed, it flowered with yellow as shades. It was loved, it flourished It glowed, it...

भूल जाओ मुझे

भूल जाओ मुझे, क्यूँ मेरे लाश को बार बार जगाते हो? क्यूँ मेरे अंत पर तुम प्रश्न चिन्ह लगाते हो? मेरे साथ ही तो उस सभ्यता का अंत हो गया था...

मारीच की खोज

मैं धरा के जंगलों में ढूंढता मारीच, देखो ! बिछड़े लक्ष्मण और सीता मुझसे किस युग में, न पूछो ! एक उसकी खोज में वर्षों गए हैं बीत मेरे। अब...

शिखरों के पार

हृदय को अकुलाता ये विचार है, दृष्टि को रोके जो ये पहाड़ है, बसता क्या शिखरों के उस पार है। उठती अब तल से चीख पुकार है, करती जो अंतः में...

शब्दों का हठ

कहते हैं मुझसे कि एक बच्चे की है स्वप्न से बनना, जो पक्षियों के पैरों में छुपकर घोंसले बना लेते हैं। कहते हैं मुझसे कि एक थिरकती लौ की आस...

अरण्य का फूल

बेलों लताओं और डालियों पर सजते हैं कितने, रूप रंग सुरभि से शोभित कोमल हैं ये उतने। असंख्य खिलते हैं यहाँ और असंख्य मुरझाते हैं, अज्ञात और...

काव्य नहीं बंधते

शब्द तो गट्ठर में कितने बांध रखे हैं, स्याही में घुल कलम से वो अब नहीं बहते। हो तरंगित कागज़ों को वो नहीं रंगते, जाने क्यों मुझसे अब अच्छे...

कल्पना की दुनिया

यथार्थ की परत के परोक्ष में, कल्पना की ओट के तले, एक अनोखी सी दुनिया प्रेरित, अबाध्य है पले। चेतन बोध से युक्त सृजन के सूत्रधारों की,...

पत्तों की बरसात

आँख खुली तो देखा मैंने, रात अजब एक बात हुई थी । अंगड़ाई लेती थी सुबह औंधी गहरी रात हुई थी ॥ पक्षी भी सारे अब चुप थे, घोंसलों में बैठे...

पतझड़

कल्पना करो, कुछ दिनों में ये बंजर हो जायेंगे। ये हवा के संग लहलहाते पत्ते, अतीत में खो जायेंगे॥ जब बारिश की बूंदों में ये पत्ते विलीन...

बढ़ चलें हैं कदम फिर से

छोड़ कर वो घर पुराना, ढूंढें न कोई ठिकाना, बढ़ चलें हैं कदम फिर से छोड़ अपना आशियाना। ऊंचाई कहाँ हैं जानते, मंज़िल नहीं हैं मानते। डर जो कभी...

सैंतीस केजी सामान

फोटो सौजन्य: मृणाल शाह छितराई यादों से अब मैं सैंतिस केजी छाँटूं कैसे? सात साल के जीवन को एक बक्से में बाँधूँ कैसे? बाँध भी लूँ मैं नर्म...

Plastic deformation

Courtesy: My birthday gift from a few dear friends Yesterday, while walking, I wrote some words in ink. Some were bitter, harsh Some...

मैं आस की चादर बुनती थी

चित्र श्रेय: गूगल इमेजेस जब चाँद छुपा था बादल में, था लिप्त गगन के आँगन में, मैं रात की चादर को ओढ़े तारों से बातें करती थी । मैं नभ के...

That silent guitar

Silently, it lays. Strings out of tune. Nothing brings life, Neither sun, nor moon. Skin has lost luster, Lies yellow and pale Crawlers...

कविता की चोरी

शब्दों को कर के लय-बद्ध, लिखे मैंने वो चंद पद्य, मन की इच्छा के भाव थे वो, मेरे अंतर्मन का रिसाव थे वो, वो मेरी कहानी कहते थे, मेरे निकट...

मनोव्यथा

क्यूं सूर्य की धूप अब घटती नहीं है? क्यूं नियति से बदलियाँ छटती नहीं हैं? हर दिशा झुलसी है अग्नि के प्रलय से क्यूं धरा पर कोपलें खिलती...

आत्म-मंथन

द्वंद्व छिड़ी हुई है मन में किस पथ को अपनाऊँ मैं। सब कहते हैं वो अपने हैं किसके संग हो जाऊं मैं? हर राह लगती है सूनी हर पथिक लगता है भटका,...

तुम्हारा लैबकोट

तुम्हारा लैबकोट मिला एक दिन तुम्हारी कुर्सी पर लटका हुआ खोया- खोया मायूस सा, चेहरा बिलकुल उतरा हुआ। किसी ने सुबह से उसका हाल ना पूछा था...

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